इस्लाम मे पर्यावरण संरक्षण

इस्लाम मे पर्यावरण संरक्षण

पेड़ पौधों के बारे मे हजरत मुहम्मद सल्लo ने पेड़ पौधे लगाने की प्रेरणा जिन शब्दों मे दी है वह सुनहरे अक्षरों मे योग्य है _ "अगर प्रलय सामने हो, किसी के हाथ मे पौधा बोने के लिए हो और उसे बोने के लिए शक्ति हो तो पौधा लगा दे" (हदीस)
ऊपर उल्लेख हो चुका है कि मुहम्मद सल्लo ने सुरक्षित वन क्षेत्र स्थापित किया था, जो जीवधारी तथा वनस्पति दोनों के संरक्षण हेतु था l साधारणतया युद्धकाल मे पेड़ पौधों की कोई चिन्ता नहीं करता, बल्कि उस समय दुश्मन की फसलों और बागों को तबाह करने का चलन आम था l ऐसे मे आप सल्लo ने युद्ध के दौरान पालतू जानवरों को मारने, खेती तबाह व बर्बाद करने और पर पेड़ों को काटने से मना किया l (हदीस : अबु दाऊद)
इस्लामी राज्य के प्रथम खलीफा हजरत अबु बकर सिद्दीक रज़ीo सेना को जो निर्देश देते थे, उन मे से एक ये भी था कि फलदार पेड़ों को ना काटे और हरे भरे स्थान ना जलाये l स्पष्ट है कि आपातकालीन परिस्थिति मे पेड़ पौधों के संरक्षण के प्रति इतना भाव है तो आम दिनों मे कितना होगा l
*पानी मे बारे मे:* पानी कुदरत की अनमोल उपहार है "कुरआन के अनुसार," ईश्वर ने हर जीवित चीज़ को पानी से बनाया l"(21:30)आज जो पानी की बर्बादी हो रही है, उसकी पृष्ठभूमि मे ईशदूत हजरत मुहम्मद सल्लo का सद्व्यवहार देखिए कि हजरत मुहम्मद सल्लo ने अपने अनुयायियों को नमाज़ के लिए मुँह-हाथ- पाँव धोते समय भी हिदायत की कि पानी का अपव्यय नहीं होना चाहिए चाहिए, चाहे तुम बहती नदी के किनारे पर ही बैठे हो l इस निर्देश मे एक वैध कार्य के लिए भी आवश्यकता से अधिक पानी के प्रयोग से रोका गया l यहां एक ओर तो पानी के महत्व को बताया जा रहा है और दूसरी ओर पर्यावरण सुरक्षा का भी ध्यान है कि नदी किनारे पर भी एहतियात बरती जाए l हौज या तालाब के पानी को गन्दा करने से मना किया गया l
*प्रदूषण के बारे मे:* हजरत मुहम्मद सल्लo ने पर्यावरण साफ - सुथरा रखने पर बल दिया आप सल्लo के मुख्य निर्देश इस प्रकार है l
1- स्वच्छता आधा ईमान है 
2- अल्लाह पवित्र है और पवित्रता को पसंद करता है l
3-रास्ते से कष्टदायक चीजों को हटाना पुण्य है l
4- रास्तों पर या छायादार पेड़ों के नीचे या पानी पेशाब या शौच करना मना है l
5-जो कोई सामुहिक स्थलों (मार्ग, पार्क, बाजार, आदि) मे मूत्र या शौच करता है उस पर अल्लाह, फरिश्तों और इंसानो की ओर से लानत होती है l
विचारणीय है जब मूत्र और शौच के बारे मे मे ऐसी सख्त हिदायत है तो इससे अधिक बड़े प्रदूषण जो गैस, रासायनिक या विषैली चीज़ों से फ़ैले उनपर कितनी बड़ी फटकार है l

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