कर्म, पुनरुज्जीवन और इस्लाम

कर्म, पुनरुज्जीवन और इस्लाम

मनुष्य को इस लोक में अपने अच्छे-बुरे कर्मों का पूरा-पूरा पुरस्कार एवं दंड नहीं मिल सकता। इसके लिए परलोक का होना अनिवार्य है। विश्व के सभी बड़े धर्मों में परलोक की धारणा पाई जाती है। इस्लाम की शब्दावली में पारलौकिक जीवन को आख़िरत कहते हैं।

इस्लाम की यह धारणा है कि मनुष्य का यह जीवन उसकी परीक्षा की घड़ी है। यह नश्वर जगत है, जिसका एक दिन विनाश निश्चित है। शाश्वत जीवन तो आख़िरत (परलोक का जीवन) है। मनुष्य का यह जीवन शाश्वत जीवन के लिए तैयारी का अवसर जुटाता है। यदि मनुष्य अपने जीवन को ईश्वरीय आदेशों के अनुरूप बनाता है, एकेश्वरवाद, ईशदूतत्व, पारलौकिक जीवन आदि मौलिक धारणाओं को स्वीकार करता है एवं सत्कर्मों में लगा रहकर जीवन व्यतीत करता है, तो उसके लिए अच्छा बदला है और वह जन्नत (स्वर्ग) का पात्र होगा। वहां उसे वास्तविक जीवन, सुख-शान्ति और अमरता प्राप्त होगी। वह इस लोक का अत्यंत विकसित रूप होगा, वहां कोई अल्पता और कमी न होगी। सत्कर्मी इसमें सदैव रहेगा। इसके विपरीत मिथ्याचार में लगे दुष्कर्मी को जहन्नम (नरक) की दहकती आग में डाल दिया जाएगा, जिसमें वह सदैव जलेगा। दुष्कर्मी विभिन्न यातनाओं से भी दो-चार होगा।

इस्लाम पुनर्जन्म नहीं पुनरुज्जीवन (हश्र-Resurrection) को मान्यता देता है। वह मनुष्य के बार-बार जन्म लेने को नहीं मानता, वह मानव-आत्मा के जीव-जन्तु, वनस्पति आदि में परिभ्रमण के विचार को पूर्णतः निरस्त करता है, उसके अनुसार सारे मनुष्य जो मानव जीवन के आरंभ से लेकर क़ियामत के आने के पूर्व तक के होंगे, सभी दोबारा पैदा किए जाएंगे और अल्लाह  उनसे उनके कर्मों का हिसाब लेगा एवं कर्मानुसार पुरस्कार या दंड देगा।

“क़ियामत के दिन दर्जे की दृष्टि से सबसे बुरा आदमी वह है जिसने अपनी आख़िरत को दूसरों की दुनिया के पीछे नष्ट कर दिया (हदीस : इब्ने माजा)।

क़ियामत (महाप्रलय) का आना यक़ीनी है (क़ुरआन 15:85)। इस दिन अल्लाह सबको इकट्ठा करेगा (क़ुरआन 15:25, 2:148)। हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) ने क़ियामत के ये लक्षण बताए हैं ज्ञान उठा लिया जाएगा, अज्ञान अधिक होगा, व्यभिचार की अधिकता होगी, शराब बहुत पी जाने लगेगी। पुरुष कम स्त्रियां अधिक हो जाएंगी यहां तक कि पचास स्त्रियों का सिरधरा एक (पुरुष) होगा (बुख़ारी, मुस्लिम, अहमद, तिरमिज़ी)। जब सूर (नरसिंघा) में फूंक मारी जाएगी, तो सब अपनी क़ब्रों से निकलकर अपने पालनहार की ओर चल पड़ेंगे (क़ुरआन 36:51, 70:43)।

क़ियामत के दिन आकाश फट जाएगा, तारे झड़ जाएंगे, सूर्य लपेट दिया जाएगा, पर्वत धुने हुए ऊन की तरह हो जाएंगे, धरती कूट-कूटकर चूर्ण-विचूर्ण कर समतल कर दी जाएगी और जो कुछ उसमें भीतर है उसे बाहर डालकर ख़ाली हो जाएगी। मुर्दे क़ब्रों से उठाए जाएंगे और दिलों के भेद प्रकट हो जाएंगे। लोग बिखरे हुए पतंगे जैसे होंगे (क़ुरआन 82:1,84:1,82: 2,81: 1,89: 21,84: 4,100: 9,10,101:1-11)।

पुनरुज्जीवन के दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों का पूरा-पूरा फल पाएगा। क़ुरआन में है—

“फिर जब सूर’ में फूंक मारी जाएगी तो उस दिन उनके बीच रिश्ते-नाते शेष न रहेंगे और न वे एक-दूसरे को पूछेंगे। फिर जिनके अच्छे कर्म भारी हुए, तो वही हैं जो सफल होंगे। रहे वे लोग जिनके अच्छे कर्म हल्के हुए, तो वही हैं जिन्होंने अपने आपको घाटे में डाला। वे सदैव जहन्नम (नरक) में होंगे। आग उनके चेहरों को झुलसा देगी और उसमें उनके मुंह विकृत हो रहे होंगे। (23:101-104)

हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) ने फ़रमाया—

“मरने वाले के साथ तीन चीज़ें चलती हैं : उसके घर वाले, उसका माल और उसका कर्म। फिर दो चीज़ें तो पलट आती है और एक साथ रह जाती है। उसके घर वाले और माल तो वापस आ जाते हैं और उसका कर्म साथ रह जाता है (बुख़ारी, मुस्लिम)।

(उनके समक्ष) कर्म-पत्र रखा जाएगा, तो अपराधियों को देखोगे कि जो कुछ उसमें होगा उससे डर रहे हैं और कह रहे हैं : हाय, हमारा दुर्भाग्य! यह कैसी किताब (कर्म-पत्रिका) है कि यह न कोई छोटी बात छोड़ती है और न बड़ी, बल्कि सभी को इसने अपने भीतर समाहित कर रखा है। जो कुछ उन्होंने किया होगा सब मौजूद पाएंगे। तुम्हारा रब किसी पर ज़ुल्म न करेगा।” (18:49)

उस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने भले कर्म को सामने मौजूद पाएगा और बुरे को भी। जो कुछ उसने कमाया होगा, पूरा-पूरा मिल जाएगा और उनके साथ कोई अन्याय न होगा (3:30, 25)। उस दिन उसके न माल काम आएगा और न संतान (26:88)। ख़ुद इन्सान के हाथ, पैर, आंख, जिह्वा और सारे अंग गवाही देंगे कि उनसे उसने किस प्रकार काम लिया (36:65, 41:20-24)।

अल्लाह कहता है—

“और क़ियामत के दिन हम न्याय-तुला रखेंगे, फिर किसी व्यक्ति पर तनिक ज़ुल्म न किया जाएगा, यद्यपि वह (कर्म) राई के दाने ही के बराबर हो, हम उसे ला उपस्थित करेंगे। और हिसाब करने के लिए हम काफ़ी हैं। (21:47)

वह दिन सत्कर्मी के लिए सुगम और दुष्कर्मी के लिए कठिन होगा। क़ुरआन में है—

“जो कोई सुचरित लेकर आया उसको उससे भी अच्छा प्राप्त होगा, और ऐसे लोग घबराहट से उस दिन निश्चिन्त होंगे। और जो कुचरित लेकर आया तो ऐसे लोगों के मुंह आग में औंधे होंगे। (27:89,90)

“फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया, उससे आसान, सरसरी हिसाब लिया जाएगा, और वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश पलटेगा। और रहा वह व्यक्ति जिसका कर्म-पत्र (उसके बाएं हाथ में) दिया गया, जिसको (उसने) पीठ पीछे डाल रखा था, तो वह विनाश को पुकारेगा और दहकती आग में जा पड़ेगा। (84:7-12)

“वास्तव में घाटे में पड़ने वाले तो वही हैं, जिन्होंने अपने आपको और अपने लोगों को क़ियामत के दिन घाटे में डाल दिया। जान रखो, यही खुला घाटा है।” (39:15)

जन्नत (स्वर्ग)

जन्नत के पात्र वही व्यक्ति होंगे, जिन्होंने जीवन भर अल्लाह की बन्दगी करते हुए अच्छे कार्य किए होंगे। अल्लाह का यह वादा है—‘‘वे लोग जो ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, उन्हें हम जल्द ही ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जहां वे सैदव रहेंगे। अल्लाह का वादा सच्चा है, और अल्लाह से बढ़कर बात का सच्चा कौन हो सकता है?’’ (क़ुरआन 4:122)

जो लोग ईमान लाए अर्थात् मुस्लिम हुए और अच्छे कर्म किए, तो उनके लिए कभी न समाप्त होने वाला बदला है। (95:6)। उसे कोई नहीं जानता जो आंखों की ठंडक उनके लिए छिपा रखी गई है उसके बदले में देने के ध्येय से जो सुकर्म वे करते रहे होंगे (32:17)। ईमानधारियों और सुकर्मियों को उनका रब (पालनहार) मार्गदर्शन करेगा (10:9)। अल्लाह उनसे राज़ी होगा और वे अल्लाह से राज़ी होंगे (98:8,5:119)। उन्हें अल्लाह का दीदार (दर्शन) भी होगा।

एह हदीस में है—

हज़रत जाबिर (रज़ि॰) से रिवायत (उल्लिखित) है कि नबी (सल्ल॰) ने कहा कि जबकि जन्नत वाले जन्नत की नेमतों में होंगे, सहसा उनके लिए एक नूर रौशन होगा सो वे अपने सिर उठाएंगे तो क्या देखेंगे कि उनका रब (पालनकर्ता प्रभु) उनके ऊपर प्रगट है। अल्लाह कहेगा : तुम पर सलाम हो, ऐ जन्नत वालो!नबी (सल्ल॰) ने कहा कि यही अल्लाह तआला के इस कथन का अर्थ होता है—सलाम है, दयामय रब का उच्चारित किया हुआ’ (क़ुरआन 36:58)। आप (सल्ल॰) ने कहा कि अल्लाह तआला उनकी तरफ़ देखेगा और वे उसकी तरफ़ देखेंगे। फिर वे जब तक अल्लाह की तरफ़ देखते रहेंगे, जन्नत की किसी नेमत की ओर ध्यान नहीं देंगे, यहां तक कि अल्लाह उनसे परदे में हो जाएगा और बाक़ी रह जाएगा उसका नूर। (इब्ने माजा)

अल्लाह के परायण और उससे डर रखने वाले सुगन्धित फूल और नेमत भरे उद्यान में होंगे, उनके लिए फ़िरदौस के बाग़ होंगे (56:89, 18:107)। उनके लिए ऊपरी मंज़िल पर कक्ष होंगे, जिनके ऊपर भी निर्मित कक्ष होंगे। उनके नीचे नहरें बह रही होंगी (39:20,29:58)। वे जो चाहेंगे मिलेगा, उसमें वे सदैव रहेंगे (25:16, 41:31)। उन्हें वास्तविक शांति और निश्चिन्तता प्राप्त होगी (44:51)। वे बाग़ों और स्रोतों में बारीक और गाढ़े रेशम के वस्त्र पहने हुए एक-दूसरे के आमने-सामने उपस्थित होंगे (44:52, 53)। उनके लिए सुख-वैभव की चीज़ें होंगी। वे और उनकी पत्नियां छायों में मसहरियों पर तकिया लगाए बैठे होंगे (36:55,56)। उन्हें सोने के कंगनों और मोती से आभूषित किया जाएगा (35:33, 76:21)। उनके लिए सोने और चांदी के बरतन होंगे (43:71, 76:15,16)। अल्लाह ने अपने बन्दों के लिए वह कुछ जुटा रखा है जिसको न किसी आंख ने देखा, न किसी कान ने सुना और न किसी मनुष्य के मन में उसका विचार आया (हदीस : बुख़ारी)।

जन्नत में न तो सख़्त धूप होगी और न सख़्त ठंड (76:13)। फलों से लदे हुए पेड़ होंगे, अंगूर के बाग़ होंगे, मनचाहे मेवे होंगे (76:13,14, 78:32, 77:42)। साफ़ गोरी, बड़ी नेत्रों वाली स्त्रियों से उनका विवाह होगा (44:54)। उनके पास निगाहें बचाए रखने वाली, सुन्दर आंखों वाली स्त्रियां होंगी (37:48, 49)। उनके लिए हरे रेशमी गद्दे और उत्कृष्ट एवं असाधारण क़ालीन होंगे, क़ालीनें हर ओर बिछी होंगी (55:76, 88:16)। उन्हें वहां इच्छित मेवे और पेय मिलेंगे, उनके बीच विशुद्ध पेय का पात्र फिराया जाएगा, बिल्कुल साफ़ उज्ज्वल, पीनेवालों के लिए सुस्वादु, छलकता जाम होगा, उसमें न कोई ख़ुमार होगा और न वे उससे निढाल और मदहोश होंगे (38:51, 37:45-47, 78:31-36)। उन्हें मुहरबंद विशुद्ध पेय पिलाया जाएगा, जिसमें तसनीम’ का मिश्रण होगा (88:25-27)। जन्नत में ऐसे पानी की नहरें होंगी जो प्रदूषित नहीं होगा। ऐसे दूध की नहरें होंगी जिनके स्वाद में तनिक भी अन्तर न आया होगा और ऐसे पेय की नहरें होंगी जो पीने वालों के लिए मज़ा ही मज़ा होंगी और साफ़-सुथरे शहद की नहरें होंगी (47:15)।

जन्नत वालों के चेहरे प्रफुल्लित और सौम्य होंगे। उनसे नेमतों की ताज़गी और आभा का बोध हो रहा होगा (88:8, 83:24)। वे कोई व्यर्थ बात न सुनेंगे, और न कोई झुठलाने की बात (78:35, 88:11)। वे भली-प्रकार सदैव स्वस्थ और सानन्द होंगे। हदीस में है—

“यहां वह स्वास्थ्य है कि बीमार न पड़ोगे, वह जीवन है कि मृत्यु न आएगी, वह जवानी है कि वृद्ध न होगे, और वह आराम है कि फिर तकलीफ़ न पाओगे। लोगों के चेहरे अपने-अपने कर्मों के अनुसार चमकेंगे कोई सितारे की तरह, कोई पूर्णिमा के चांद की तरह।

(मुस्लिम)

 

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