पैग़म्बर मोहम्मद (स0) की मुहर

पैग़म्बर मोहम्मद (स0) की मुहर

 
 
  
 
 
पैग़म्बर मोहम्मद (स0) के कथन-संग्रह 'हदीस’ की किताब 'मुस्लिम’ की हदीस संख्या 2092 के अनुसार:
जब पैगम्बर (स0) ने रोम (बाज़न्तीन) के सम्राट को संबोधित करके उसे पत्र भेजने क इरादा किया तो आप (स0) को सु़झाव दिया गया कि सम्राट पत्र को जब ही पढे़गा जब उसकी विश्वसनीयता एवं आधिकारिकता के पुष्टीकरण स्वरूप उस पर मुहर लगी हो। पैग़म्बर (स0) ने इस उद्वेश्य से चांदी की एक अंगूठी बनवाई जिस पर उस मुहर की लिपि खुदी हुई थी।
मुहर में ऊपर ’अल्लाह’ शब्द लिखा गया, उसके नीचे रसूल शब्द और उसके नीचे आप (स0)  का नाम ’मुहम्मद’। अरबी लिपि को पाठन शैली में शब्दों के इस समूह को “मुहम्मद, अल्लाह के रसूल”। रसूल को अर्थ होता है, ‘दूत’  या ‘प्रेषित’ रसूल अल्लाह का अर्थ हुआ ‘ईशदूत’ या ‘ईश-प्रेषित’। 
बाज़न्तीन (Byzantine) के सम्राट को लिखे गए पत्र पर नीचे यह मुहर लगाई गई। अन्य सम्राटों के नाम पत्रों तथा दूसरे सरकारी दस्तावेज़ों व आदेश-पत्रों पर यह मुहर लगाई जाती थी। आप के देहावसान के बाद भी आप (स0) के तीसरे उत्तराधिकारी खलीफ़ा उस्मान (रजि0) के शासन काल (644 ई0 से 656 ई) के कुछ वर्षों तक इस्लामी शासन के दस्तावेजों तथा आदेश-पत्रों पर आधिकारिक तौर पर यह मुहर लगाई जाती रही। इसका छाया-प्रतिबिंब यहा प्रस्तुत किया जा रहा है।

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