कुरआन का चैलेंज

कुरआन का चैलेंज

कुरआन एक ईश्वरीय धर्मग्रन्थ है, न कि किसी इंसान की कृति। इसका उद्देश्य इंसानों को यह बताना है कि संसार में फ़ैली समस्त कुरीतियों, बिगाड़ और फ़साद का सिर्फ़ और सिर्फ़ एक कारण है और वह है अपने असल मालिक अल्लाह ईश्वर को छोड़कर दूसरों के बताये मार्गदर्शन या अपनी इच्छानुसार जीवन व्यतीत करना और यह समझना कि इंसानों को ईश्वरीय मार्गदर्शन की कोई आवश्यकता नहीं है। 
हज़रत मुहम्मद (सल०) ने जब कुरआन को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया तो लोगों ने उसको ईश्वरीय पुस्तक मानने से इनकार कर दिया। और हज़रत मुहम्मद (सल०) पर आरोप लगाना शुरू कर दिया कि तुमने स्वयं इसे गढ़ा है। हालांकि उन्हें भलीभांति ज्ञात था कि हज़रत मुहम्मद (सल०) पढ़े लिखे नहीं हैं, और यह असंभव है कि वह ऐसी किसी पुस्तक की रचना कर सकें। वह यह भी मानते थे कि हज़रत मुहम्मद (सल०) कभी झूठ नहीं बोलते। स्वयं मक्का के लोगों ने उन्हें ‘सादिकुल-अमीन’ (सच्चा और विश्वसनीय) की उपाधि दे रखी थी और अपनी अमानतें उन्हीं के पास रखवाते थे।
दूसरी ओर अरब के लोगों को अपनी भाषा पर बड़ा गर्व था। कविता कहने की उनकी क्षमता बड़ी विकसित थी। वह बड़े-बड़े कवि-सम्मेलन आयोजित करते थे जिसमें प्रख्यात कवि अपनी रचना प्रस्तुत करते। विजयी होने वाली कविता को काबा की दीवार पर लगा दिया जाता था। ईश्-वाणी मानने से इनकार पर कुरआन ने उनके सामने यह चैलेंज रखा कि यदि तुम्हारा मानना है कि यह किसी इंसान का लिखा हुआ है तो तुम भी इसी प्रकार की एक किताब लिख लाओ। 
यह चैलेंज कुरआन में तीन स्थानों पर आया है। पहले चैलेंज दिया गया कि इस जैसा एक दूसरा कुरआन बना कर दिखाओ यदि तुम अपने दावे में सच्चे हो (17:88)। फ़िर इसे कम करते हुए कहा गया कि चलो इसके जैसे 10 अध्याय ही बना लाओ (11:13)। जब किसी ने इनको स्वीकार नहीं किया तो कुरआन ने अपने चैलेंज को और कम करते हुए कहा कि अच्छा चलो एक अध्याय ही बना कर दिखा दो (2:23)। कुरआन यह चैलेंज देकर रुक नहीं गया। उसने यह घोषणा भी कर दी कि तुम चाहे कितना भी प्रयत्न कर लो, तुम इस जैसा एक अध्याय भी नहीं बना सकोगे।
कुरआन की बात सत्य साबित हुई। न उस समय और न उसके बाद किसी ने इस चैलेंज का जवाब देने का प्रयत्न नहीं किया। कुरआन की अद्भुत शैली से मोहित होकर कितने ही लोगों ने उस समय कविता कहना ही छोड़ दिया। अरबी भाषा के समस्त विद्वान स्वीकारते हैं कि कुरआन की शैली इतनी अद्भुत है कि उसकी नक़ल असंभव है। 

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