रोज़े के फ़ायदे

रोज़े के फ़ायदे



रोज़ा एक अनिवार्य इबादत है जिसका उद्देश्य आत्म-संयम पैदा करना और अल्लाह के समक्ष आत्म-समर्पण की भावना जागृत करना है। इस इबादत में अल्लाह ने इंसानी स्वास्थ के भी अनगिनत राज़ छिपा रखे हैं जिनका लाभ इबादत के साथ मुफ्त में मिल जाता है।
इंसान आजकल स्वास्थ को लेकर बहुत चिंतित रहता है और इसके संरक्षण के नए-नए उपाय खोजने का प्रयत्न करता है। इस समय विश्व में Intermittent Fasting का ट्रेंड ज़ोरों पर है, जिसमें 16-18 घंटे कुछ भी खाने से रुके रहना होता है और अपने खाने को बचे हुए 6-8 घंटों में ही सीमित कर देना होता है। इस उपाय से मोटापा तेज़ी से कम होता है, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कई अन्य बड़ी बीमारियों जैसे Alzheimer, ह्रदय-रोग आदि में भी लाभ होता है। बार-बार कुछ न कुछ खाते रहने (snacking) से शरीर में Insulin Resistance उत्पन्न हो जाता है जिसको दूर करने में Intermittent Fasting बहुत कारगर साबित होती है। Insulin Resistance हमारे शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है।  
रोज़े में वह सारे लाभ निहित हैं जो Intermittent Fasting से प्राप्त होते हैं। यह लाभ भी अल्लाह ने रोज़े में छिपा रखे हैं, इसकी जानकारी इंसानों को अभी कुछ ही वर्षों पहले हो सकी है। अभी और कितने राज़ छिपे हैं, यह तो समय ही बताएगा, पर एक बात तो सत्य है कि रोज़ा रखना शरीर के लिए कष्ट का नहीं, लाभ का सौदा है। रोज़ों को शरीर के लिए हानिकारक मानने वालों को अपनी राय पर पुनः विचार करना चाहिए।
अपने खाने-पीने पर control आत्म-संयम के बग़ैर संभव नहीं है। कितने सारे लोग खाने-पीने के ग़ुलाम बने नज़र आते हैं। दिनभर में 5-6 बार खाना-पीना आजकल एक आम बात हो गई है और इससे निकल पाना बहुत मुश्किल होता है। रोज़ा हमें अपनी इस अत्यंत हानिकारक आदत को त्यागने में सहायक सिद्ध होता है।   
रोज़े का टाइम-टेबुल देखें तो इसमें लगभग 14-16 घंटों, सूर्योदय से सूर्यास्त तक, खाने-पीने से रुक जाना होता है। पानी भी नहीं पी सकते। इसको आज की भाषा में Dry-Fasting कहते हैं। दूसरी Wet-Fasting होती है, जिसमें पानी या zero-calorie ड्रिंक्स लेने की अनुमति होती है। पर अल्लाह ने अपने असीमित ज्ञान से रोज़े में ड्राई-फ़ास्टिंग को पसन्द किया जिससे यह कहा जा सकता है कि साल में एक बार 30 दिनों के लिए ड्राई-फ़ास्टिंग स्वास्थ के लिए अत्यन्त लाभदायक है। 
अल्लाह ने पूरे साल में विभिन्न अवसरों पर भी रोज़ा रखने को प्रोत्साहित किया है। हर महीने 13,14 और15 तारीख़ के तीन दिन रोज़े और हर हफ्ते सोमवार और गुरुवार के दो रोज़े। इसपर यदि सोचा जाए तो इस प्रावधान पर अल्लाह की अपार और असीमित अनुकम्पा का एहसास होता है। फ़िर उसके लिए दिल में शुक्र की भावना पैदा होती है और आदमी को हर तरफ़ उसकी रहमतें और नेमतें नज़र आने लगती हैं। उससे रिश्ता मज़बूत हो जाता है, उसके आदेशों के पालन की प्रेरणा मिलती है और उसके बताए हुए मार्ग पर चलना सरल हो जाता है। यही सफ़लता का मार्ग है।               

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