हिजाब या बेहिजाबी?
हिजाब का आविष्कार कोई इस्लाम की देन नहीं है बल्कि सभी धर्मों में पाई जाने वाली और सदा से प्रचलित व्यवस्था को इस्लाम ने जारी रखा है। हर समाज और सभ्यता ने सदा, पुरुषों और महिलाओं दोनों में शिष्टता, शालीनता और लज्जा को बड़ा महत्व दिया है। पचास वर्ष पूर्व के भारत पर ही यदि निगाह डाली जाए तो महिलाओं में घूंघट का प्रचलन आम बात थी। सिख महिलाओं में आज भी सर ढककर रखने का प्रचलन पाया जाता है। पिछली सदी के आरम्भ तक यूरोप में महिलाओं में हिजाब का चलन था और महिला पादरियों में आज भी है। एक आदर्श समाज निर्माण के अपने लक्ष्य में इस्लाम ने पुरुष और महिलाओं के संबंधों को बड़ी सूक्ष्मता से परिभाषित किया है। इसका मानना है कि यदि इस सम्बन्ध को सभ्यता और शालीनता की सीमाओं में न बाँधा गया तो एक दुसरे के उत्पीड़न और शोषण का ऐसा तूफ़ान बरपा होगा जो समाज को ले डूबेगा। प्रथम चरण में आदेश......
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