सुवचन

अधिक जानकारी हेतु

कु़रआन ईश्वर का पैग़ाम आपके नाम

कु़रआन: ईश्वरीय संदेश, आपके लिए!इस्लाम के मूल ग्रंथ ‘क़ुरआन’ का सरल व संक्षिप्त परिचय यह है कि यह ग्रंथ ईश्वर की ओर से उसके सारे बन्दों के लिए एक पैग़ाम, एक संदेश है। ऐसा पैग़ाम जो हर काल और युग के लिए; हर जाति, क़ौम, रंग, नस्ल, वर्ग, क्षेत्र और राष्ट्रीयता के इन्सानों के लिए समान व स्थायी रूप से महत्वपूर्ण व लाभकारक है। यह संदेश, संदेशवाहक (पैग़ामबर) हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) पर ईशवाणी के रूप में सन् 610 ई॰ से सन् 632 ई॰ तक 22 वर्षों की मुद्दत में इतिहास के पूरे प्रकाश में अवतरित हुआ और उसी मूल-लिपि में पूरी शुद्धता व विश्वसनीयता के साथ आज हर जगह उपलब्ध है।· ईश्वर का बन्दों के नाम यह पैग़ाम उनके सांसारिक जीवन और मौत के बाद पारलौकिक जीवन की सफलता तथा दुखों व समस्याओं से मुक्ति से संबंधित है। इसी के अनुकूल क़ुरआन में उसने इन्सानों को मार्गदर्शन, शिक्षाएं, नियम, आदेश व निर्देश दिए...

Read More

एकेश्वरवाद की इस्लामी धारणा

एकेश्वरवाद की इस्लामी धारणा ईश्वर से संबंध सामान्यतः उसकी पूजा-उपासना तक सीमित माना जाता है। चूंकि ईश्वर अदृश्य (Invisible) होता है, निराकार होता है, इसलिए पूजा-उपासना में उस पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए उसके प्रतीक स्वरूप कुछ भौतिक प्रतिमाएं बना ली जाती हैं। फिर ये प्रतिमाएं ईश्वर का प्रतिनिधित्व करती मान ली जाती हैं। यहीं से अनेकेश्वरवाद का आरंभ हो जाता है। ‘प्रतीक' ही ‘अस्ल' हो जाते हैं और ईश्वर के ईश्वरत्व में शरीक-साझीदार बनकर स्वयं पूज्य-उपास्य बन जाते हैं। एकेश्वरवाद परिवर्तित व विकृत होकर 'नियमवत् अनेकेश्वरवाद' का रूप धारण कर लेता है। सत्य- पथ से, इस ज़रा-से फिसलने और विचलित होने के बाद, फिर क़दम ठहरते नहीं, और आदमी को न कहीं क़रार मिलता है न संतोष व संतुष्टि। अतः धर्मों और धर्मावलंबियों का इतिहास साक्षी है कि नबी, रसूल, ऋषि, मुनि, महापुरुष, पीर, औलिया...

Read More

पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰)

पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) सत्य हमेशा स्पष्ट होता है। उसके लिए किसी तरह की दलील की ज़रूरत नहीं होती। यह बात और है कि हम उसे न समझ पाएं या कुछ लोग हमें इससे दूर रखने का कुप्रयास करें। अब यह बात छिपी नहीं रही कि वेदों, उपनिषदों और पुराणों में इस सृष्टि के अंतिम पैग़म्बर (संदेष्टा) हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के आगमन की भविष्यवाणियां की गई हैं। मानवतावादी सत्यगवेषी विद्वानों ने ऐसे अकाट्य प्रमाण पेश कर दिए, जिससे सत्य खुलकर सामने आ गया है।वेदों में जिस उष्ट्रारोही (ऊंट की सवारी करनेवाले) महापुरुष के आने की भविष्यवाणी की गई है, वे हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) ही हैं। वेदों के अनुसार उष्ट्रारोही का नाम ‘नराशंस' होगा। ‘नराशंस' का अरबी अनुवाद ‘मुहम्मद' होता है। ‘नराशंस' के बारे में वर्णित समस्त क्रियाकलाप हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के आचरणों और व्यवहारों से आश्चर्यजनक साम्यता रखते...

Read More